एक 83 साल की ज’र्म’न महिला इ’स्ला’म ध’र्म को कु’बूल करने के बाद मु’सल’मा’न बनी थी। इ’स्ला’म ध’र्म’ को कुबू’ल करने वालो ला सि’ल’सिला लगातार जारी भी रहा है। उनका हाल ही में नि’ध’न हो गया है। जिसके बाद उनकी आ’खिरी इच्छा ले बाद ही उन्हें उत्तरी तु’र्की ले शहर
ट्रब्जोंन के सरमेने जिले में बीते दिनों ही द’फना’या गया है।रेनेट के रूप में पहचाने जाने वाली महिला ने 40 साल पहले अपने तु’र्क पड़ो’सियों के साथ दोस्ती की वजह से इस्ला’म को कु’बू’ल किया था। इन्होंने अपना नाम एमी बलटक रखा है। जर्म’नी के कोलोन में रहते हुए, वह एक न’र्सिंग हो’म में म’र गई थी जहां पर वो रह

भी रही थी। उनके श’व को पास के क’ब्रिस्ता’न में भी द’फना’या जाएगा। उन्होंने अपने पड़ोसियों से इस बात के बारे में अनु’रोध किया है कि वह अपने श’व को अपने ही शहर ट्रेंबो”जोम ले जाए और एक इ’स्ला’मी तरीके से अं’ति’म सं’स्का’र करे। उनके शरीर को।इ’स्ला’मी नियमो के मुताबिक ही द’फ’न करें।
बता दे कि जर्म’नी के रहने वाले तु’र्की ना’गरि’को द्वारा स्थापि’त म’स्जि’द एसोसि’एशन की मदद से बलते’क को जल्द ही तु’र्की भी लाया गया था।नमाजे जनाजा प’ढ़ने के बाद एमी बल’तेन को उनके अपने घर से 3,500 किलोमीटर दूर द’फ’ना’या भी गया। एमी के पड़ो’सी ने बताया है कि रि’नाये और हमारा प’रिवार 40 साल से

दोस्त थे।उन्होंने ब’हुत ज्या’दा जा’च प’ड़ता’ल करने के लिए महसू’स भी किया। उनको इ’स्ला’म ध’र्म एक सही ध’र्म भी लगा। वह म”स्जि’दों में भी गई इसके बाद उन्होंने न’मा’ज ओर कु’रा’न को प’ढ़’ना भी सी’खा।