दुनिया मे हर तरह के पं’थ, ध’र्म ,न’स्ल आदि के इं’सा’न निवास करते है। हर समाज के लोग खा’ना पी’ना , प’ह’न’ना सब अ’ल’ग अ’ल’ग यानि अपनी सं’स्कृ’ति के हि’सा’ब से करते है। हि’न्दू ध’र्म में अलग रि’वाज होता है। वह खा’ने में शा’का’हारी खा’ते है। वही एक तरफ मु’स्लि’म स’मा’ज मे मां’सा’हा’री खा’ते है। मां’सा’हा”र में भी कई तरह का मी’ट होता है। अलग अलग जगह पर अलग जा’न’व’र के मी’ट को खा’ने में लोग इ’स्ते’माल क’र’ते है। भा’र’त में मु’स्लि’म आबादी ब’क’रा, मु’र्गा, भें’स का मी’ट खा’ते है।
भें’स या फिर ब’ड़े जानवर के मी’ट को बी’फ क’हा जाता है। यह बी’फ देश के अधिकतर हि’स्सों में खा’या जाता है। आज हम आपको मौ’ला’ना ता’रि’क म’सू’द ने जो बयान गो’श्त के बारे में बताए है। वो ब’ताने जा रहे हैं। आज हम बी’फ खाने के फा’य’दे ब’ता’एंगे। बी’फ खा’ने से इंसान के जि’स्म में बहुत ता’क’त आ’ती है, इससे जि’स्म को प्रो’टी’न मि’ल’ता है। लेकिन वही बी’फ के कुछ ‘नु’क’सा’न भी होते हैं। अगर इं’सा’न जरूरत के मुताबिक बी’फ खा’ता’ है तो उसके जि’स्म को फा’य’दा होता है ।

अ’ग’र उ’स’ने ज’रू’र’त से ज्या’दा खा”’या तो उसके नु’क’सा’न होते हैं। प’का हुआ मी’ट- बी’फ खाने से अधिक मात्रा में जि’स्म को प्रो’टी’न , आ’य”’र’न, वि’टा’मि’न B व’गै’रा हा’सि’ल होता हैं। जो कि एक से’ह’त मं’द जि’स्म के लिए ब’हु’त ही जरूरी हैं। इसलिए बी’फ को आ’म रू’टी’न में ज’रू”र”त के मु’ता”बि’क ही खा’ना चाहिए । म’छ’ली और मु’र्गे के मी’ट को वा’इ’ट मीट कहा जाता है। इस से भी इं”सा’न को प्रो’टि’न हा’सिल हो’ता हैं।
लेकिन जो फा’य’दा बी’फ खा’ने में है वो मु’र्गी म’छ”ली खा’ने में न’ही हैं। दुनिया मे लोग म’ट’न भी खा’ते है। म’ट’न में चि’क’ना’ई की मि’क़’दा’र, चि’क’न की नि’स्ब’त ज्या’दा होती है। बीफ में चि’क’ना’ई की मिक़’दा’र ज्यादा होती है। इस से प्रो’टीन , वि’टामिन, आय’रन की पूर्ति हो जाती हैं। इनको हद से ज्या’दा इ’स्ते’मा”ल न’ही क’र’ना चा’हिए। क्योंकि इनके नु’क’सा’न भी हैं और फाय’दा भी हैं।

ज्यादा गो’श्त खा’ने से कई बी’मा’रि’यां भी हो सकती है। जिनको बी’मा’री हो रही है, उनके लिए गो’श्त को ज्यादा ही आ’म रू’टी’न में खा’ना नु”क’सा’न सा’बित हो सकता हैं। उन्हें सु’र्ख मी’ट के इ’स्ते’मा’ल में गै’र मा’मू’ली ब’र’तनी चाहिए। इसका ज्यादा इ’स्ते”मा’ल केंस’र, मा’दा जि’ग’र की बी’मा’री,दि’ल के अ”म’रा’ज़ जैसी बी’मा’रि’यों का बा’इस बन सकता हैं। इसलिए हम सभी को चाहिए की जरुरत मुताबिक ही कोई चीज़ खाई जाए। ज्यादा खाने को श’री’य’त ने भी म;ना फ़रमाया है।