ता’लिबा’न ने बीते दिनों पहले ही अफ’गानि’स्तान पर अपना क’ब्जा भी जमा लिया है। अगर अज’रबैजा’न की शां’ति सै’नि’क का’बुल एयर’पोर्ट पर तै’ना’त न’ही होती तो हजारों लोगों की एय’रलिफ्ट मुमकिन भी नही हो पाती। जब 15 अगस्त को ता’लिबा’न ने काबुल शहर पर कब्जा जमाया था तो जब तक वो काबुल के
हा’मि’द करजई इंटरने’शनल ए’यर’पोर्ट को अपनी गिरफ्त में नही ले सके थे। उस समय अ’जरबैजा’न के सै’निक ना’टो के।पा’र्टनरशिप फ़ॉर पीस’ कार्यक्रम के तहत ए’यरपोर्ट पर भी तै’ना’त थे। इसकी तैनाती भी कुछ महीने पहले ही हुई थी जब वहां परअश’रफ गनी की सरकार मोजुद थी।

ना’टो के महा सचिव जेन्स स्टॉ’लतेल बर्ग ने अजर’बैजान को इस सहयोग के लिए तहेदिल से शुक्रिया भी कहा है। उन्होंने कहा है कि क’ठि’न प’रिस्थि’तियों में काबुल ए’यरपो’र्ट की सु’र’क्षा के लिए अ’जरबैजा’न की अहम भूमि’का को कभी भी न’ही भुलाया जा सकता है। ह’जारो लोगों की जा’न भी ब’ची है
वही भारत के लोगों को भी ब’चा’या है जिससे उन लोगो की वतन वापसी भी हो सकती है।आपको बता दे कि अज’रबैजान पहले सोवि’यत सं’घ का हिस्सा रहा करता थ। साल 1991 में यह एक आजाद मुल्क बन गया। इसकी सीमा अफ’गानिस्तान से तो न’ही मिलती है लेकिन यह उंसके करीब है। अजरबैजान से कैस्पियन सागर होते हुए तुरकेमिस्तान और फिर वहां से अफगानिस्तान पहुँचा जा सकता है।

अजरबै’जान कें’द्रीय ए’शिया का मु’स्लिम बहुल देश भी है। यहां पर 96 फीसदी मुसल’मान रहते है।अज’रबेजान एक आज़ाद मुल्क बनने के बाद साल 1996 में ओलं’पिक भी खेला था। कुश्ती खेल यहां जा राष्ट्रीय खेल की तरह है। तब से कुश्ती में इस देश ने कुल 14 पदक को जीता है।