मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश कोयले के कमी से जूझ रहा है । इसका देश की ऊर्जा पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है ऐसी सम्भवना जताया जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश मे वैकल्पिक ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा के, सोलर का इस्तेमाल कम ही उपयोग में लिया जाता हज। ऊर्जा की खपत और भारी मांग को देखते हुए इसको पूरा करने में कोयले की अहम भूमिका है ।
कोयली की कमी का सीधा असर बिजली उत्पादन पर पड़ सकता हूं ऐसी आशंका जताई जा रही हज । बिजली उत्पादन जहां बिजली बनाने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता है वहा पर स्टॉक या तो काफी कमबचा है या फिर कई जगहों पर कोयला खत्म हो गया है ।

आपको बता दे, कोयले की वजह से बिजली संकट केवल भारत के लिए ही नहीं खड़ी कर रहा है बल्कि दुनिया के अलग अलग देशो में ऊर्जा की कमी लगातार कमी हो रही है । इसकी वजह लॉक डाउन में बंद कोयलों की खाने है जहां से कोयला नही निकला है । एक्सपर्ट का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया से लेकर भारत की खदानों से पर्याप्त मात्रा में कोयला नही निकला था जिसकी वजह ये समस्या सभी जगह देखी जा रही है ।
अगर हम भारत की ही बात करे तो तकरीबन देश की 70 फीसदी बिजली कोयले से ही बनती है। एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद तनेता मानते है कि देश मे कोयले कि कमी नही है । उन्होंने कहा कि खनन के बाद इसकी साफ सफाई और फिर इसकी केंद्रों को विभिन्न माध्यमों के जरिये ढुलाई की जाती है।

इस बार इन तीनो जगहों पर समस्या आई है। इसके अलावा बारिश का भी प्रतिकूल असर पड़ा है । और कोयले का प्रबंध भी एक बड़ी समस्या है ।खनन के तरीकों का पुराना होना, इसका आधुनिकरण न हो पाना भी एक समस्या में से एक है ।