दि’ल्ली पु’लि’स में तैनात एक अधिकारी ने ध’र्म जाती से ऊपर उठकर एक मिसाल को भी कायम किया है। दिल्ली पुलिस में उत्तर पश्चिमी दिल्ली में बतौर डीएसपी असलम खान हर महीने अपने सेलेरी का एक हिस्सा भा’रत पा’क बॉ’र्ड’र के पास बसे एक गांव के परिवार से भी आती है।
असलमं खान ने बतौया है कि इसी साल एक ट्रक ने डाइवर की कुछ लोगो न ह’त्या कर दी थी। ट्रक चालक की मौत के कुछ दिन बाद मैं उसके परिवार वालो के सम्पर्क में भी आई तो मुझे इस बात का पता चला कि मृ’त’क ट्र’क चाल’क का परिवार बेहद ही ज्यादा गरी’ब’ है। जिसके बाद अगले ही महिनी यानी कि फरवरी में
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मेने अपनी सैलरी का एक हिस्सा उन्हें भे’जना भी शुरू कर दिया।ट्रक ड्राइवर मान सिंह ने चंडीगढ़ से दिल्ली भी आए थे। मृ’त’क के परिवार वालो ने बताया था कि जब से परि’वार के मुखि’या की ह’त्या कर दी गई है तभी से डीसीपी असलम ने उन्हें हर महीने अपनी सेलेरी का एक हिस्सा उनकी मदद केलिए भी भेजा था।
परि’वार वालों का कहना है कि हम परिवार केमुखिया की मौ’त के बाद से डरे भी हुए थे । मैडम ने हमारी बहुत ही ज्यादा मदद भी की है।जिसके लिए हम डीसीपी असलम खान का तहेदिल से शुक्रि’या भी अदा करते है।

मृ’त’क की बेटी ने कहा है कि हमे इस बात का मालू’म न’ही है कि मेडम से हमारा क्या रि’श्ता है लेकिन वह हमारे लिए के फरि’श्ता’ है। हमने एक दूसरे को कभी भी नही देखा है। हम एक दूसरे से बात भी करते है ।