धीरूबाई अंबानी के बिजनिस का तरीका, जिसमें अरब के शेख को हिंदुस्तान की मिट्टी बेच दी

हमारे देश मे रिलायंस देश के उद्योगों का वह बुलबुल रहा जिसमे फुटकर छा जाने की हासिल किया है। आज रिलायंस देश के सबसे बड़ा उद्योग का घराना बन गया है। 60 के दशकि में धीरूभाई ने 15 हजार रुपए से रिलायंस कर्मिशियल कॉपरेशन को शुरू किया।

यह इनका पहला बड़ा वेंचर था। 1967 में 15 लाख रूप से रिलायंस टेक्सटाइल शुरू किया। रिलायंस के पास इन्वेंटर बहुत ज्यादा है। सवसे ज्यादा डिविडेंड पे करने वाली कम्पनियों में से एक है। देश मे हर फर्स्ट चीज ही रिलायंस के हाथ मे आती है।

यह आ’रो’प बन जाता है। लेकिन यह बात तथ्य है कि किसी के इन्वेस्ट करने के लिए रिलांयस सबके अच्छी कम्पनियों में से एक है।बता दे कि धीरूभाई 28 दिसम्बर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ में पैदा हुए। वही शहर जिसने हिंदुस्तान से अलग पहचान को बना रखा था।

साल 1977 में रिलायंस पब्लिक लिमेट्स कम्पनी बनी। शेयर पब्लिक के लि खुले तो ड’र इतना था कि इन्वेस्ट के हाथ नही लगा रहे थे। कई लोग इस बात को मानते थे कि धीरूभाई जिस चीज को छूते तो सोना हो जाता था।

अंबानी कहते है कि आपको अपना आइडिया सरकार को बेचना पड़ता है। फिर दिखाना पड़ता है कि कम्पनी का प्लान देश हित के लिए है। सरकार जब कहती है कि पैसा नही है तो हम कहते है कि ठीक है हम फाइनेंस कर देंगे।

 

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