काबा पर काले रंग का गिलाफ़ क्यों होता है ? मौलाना ने फ़रमाया कि

सऊदी अरब के दो पवित्र शहर मक्का शरीफ और मदीना में मुसलमानों के लिए बहुत ही अहमियत रखता है । यह दोनों शहर इंतिहाई मुक़द्दस , बाबरकत ओर अहम मुकाम रखता है । हर साल यहाँ पूरी दुनिया से मुसलमान हज के लिए आते है । यहाँ मुसलमान आकर काबे का तवाफ़ करते है । और अपने गुनाह को माफ कराने के लिये अल्लाह तआला के सामने गीड़ गिड़ाते हुए दुआ मांगते है ।

हज़रत इस्माइल अल्हिस्सलाम ने अपने वालिद हज़रत इब्राहीम अल्हिस्सलाम के साथ मिलकर काबे को तमोर किया था । यह शुरू से ही अपने मुकाम पर है । अल्लाह के रसूल सल्लाहु आलिहि वसल्लम ने यहा से हिदायत का सिलसिला जारी रखा । जब सेलाब से कब को नुकसान पहुंचा तो अल्लाह के प्यारे नबी सल्लाहु अलैहि वस्सलम ने काबा की तामीर दुबारा कराई ।

दुनिया का पहला घर काबा शरीफ़ है । इसे फरिश्तों ने बनाया । इसके बाद इंसानी दुनिया वजुद में आई । हर दौर में इसकी अल्लाह के नबियों ने देखरेख की । जब जब भी इसे नुकसान हुआ ओ दुबारा तामीर कराया गया । काबा शरीफ़ पर हमेशा एक कपड़ा चढ़ा होता है । इसे गिलाफ़ कहा जाता है । यह काले रंग का होता है । इसकी यह वजह बताई जाती है कि काळा रंग से नज़र नही लगती । लोग ज्यादा समय तक इसे देखते है । दूसरे कलर पर ज्यादा समय तक नजर नही ठहरती है ।

काबा शरीफ़ को मुसलमान काफी अहमियत से देखते है । हर मुस्लिम यह तम्मना करता है कि वह जिंदगी में एक बार जरूर हज करना चाहता है । काबा शरीफ़ के अंदर हज़रे अस्वाद है जो जन्नत से आया था । जब लोग हज करने के लिए यह जाते है तो इसे चूमते है । मक़ामे इब्राहिम पर दो रकाअत नमाज भी अदा करते है । यहाँ पर आबे ज़मज़म पानी है, इस कुँए का पानी कभी खत्म नही होता है ।

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