क्यों रखे जाते है रोज़े? जाने क्या है र’मजान महीने की अहम् हदीस,अ’ल्लाह फरमाता है- रोज़ा मेरे लिए है और ..

अ’ल्लाह तआला फरमाता है कि जिसका तर्जुमा है “रो’जा मेरे लिए है और मैं खुद इसका अ’जर दूँगा” । और जिस चीज का बदला खुद अ’ल्लाह दे तो उसकी ना कोई हद होगी और ना ही हिसाब कितना दे दे सोचा भी नही जा सकता है । बस जरूरत है खु’लूस ए दिल की दि’खावा व रिया’कारी से’ पा’क नियत की । हमे सुन्न’त के मुताबिक अ”मल करने की तौ’फीक अता फरमाए । इस्लाम धर्म का सब’से पा’क म’हीने की शुरु’आत हो चुकी है ।

स’ऊदी अरब की पवित्र दो’नों मस्जि’दो में 6 इमाम सहित कुछ लोगों ने त’रावीह और पांचों वक़्त की न’माज पढ़ना शुरू कर दी है ।बता दे, प’वित्र मा’ह का दुनिया भर के मुस’लमा’नों का बेसब्री से इनतेज़ार रहता है । यह महीना रह’मतों, बरक’तों वाला कहा जाता है । रमज़ान के पूरे महीने 29 या 30 दिन तक मुस्लि’म समुदाय के लोग न’माज पढ़ते है, रो’जे रखते है, कुरा’न शरीफ की खूब ति’लावत करते है ।

बता दे, इस प’वित्र मा’ह में कुरा’न मुक’म्मल हुआ और इस माह शब ए कद्र वाली रात बहुत महत्वपूर्ण होती है, इस रात में मु’स्लिम समा’ज के लोग खूब इ’बादत और कुरा”न की तिला’वत भी करते है । बता दे, रम’ज़ा’न के पवित्र मही’ने में हर दिन की नमा’ज के अ’लावा रात को तरा”बीह की नमाज अदा करते है , यह ईशा की ‘नमाज’ के बाद ही होती है। तरा’वीह में कुरा’न शरी’फ के 30 पा’रे सुनाए जाते है ।

मु’स्लिम धर्म को मानने वाले इस प’वित्र मा’ह रम’जान के महीने में अपने गु’नाहों की तौबा करते है। मुस्लि’म समा’ज के लोग सा’लभर तक इस ‘महीने का बेसब्री से इंतजार करते है। इस महीने में अल्ला’ह अपने बन्दों को बेशुमार रह’मतों से नवा’जता है और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते है और ज’न्नत के द’रवाजे खोल दिए जाते है।

बता दे, रम’जान के महीने में रो’जा रखना हर 7 साल की उम्र के बाद से हर सेह’तमंद मुसल’मान पर रोजे रखना फर्ज है। इस महीने में अल्लाह ब’न्दों के गुना”हों की बख़्शिश करता है। से’हरी, इफ्ता’र और तरा’बीह :- रम’जान के दिनों में लोग सुबह उठकर सेहरी करते है। से’हरी करने के बाद फ़’ज़र नमा’ज पढ़ी जाती है। इसी के साथ रोजे की शु’रूआत होती है। रोजेदार पूरे दिन कुछ भी नही खाता है। शाम को सूर’ज डूबने के बाद इफ्ता’र किया जाता है।

इसके बाद रात को ई’शा की न’माज के बाद तरा’बीह पड़ी जाती है। इस दौरान म’स्जिदों और घरों में कुरान पड़ा जाता है। यह सिलसिला पूरे महीने चलता है। महीने के अंत मे यानी 29 वे दिन चांद नही दिखता है तो 30 रो’जे पूरे करके ई’द म’नाई जाती है।इस पवित्र महीने में ज’कात देना भी खास है। अगर किस के पास साल भर उसकी जरूरत से अलग साडे 52 तोला चांदी ।

या उसके बराबर कैश या कीमती सामान है तो उसका ढाई फीसदी ज’कात किसी गरी’ब को दी जाती है। रमजान के महीने में शब ए कद्र की रात को जो 5 ताक राते मानी जाती है, अमूमन इसे 27 वी रात ही मानां जाता है को अ’ल्लाह ने कु’रान नाजिल किया था। इसलिए श’बे क’द्र की अह’मियत काफी ज्यादा होती है ।

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