हिंदुस्तान की असली तस्वीर: मदरसे में मुस्लिम लड़किया सीख रखी कंप्यूटर तो दूसरी ओर हिन्दू बच्चे सीख रहे …

मदर’से का नाम सुनते ही दुनिया की तमाम तरक्की से बेख’बर दीनी तालीम लेते मु’स्लिम बच्चो की तस्वीर जेहन में उ’भर लाती है लेकिन लख’नऊ के काकोरी मे डॉ. असलम ने मदरसे में आधुनिक शिक्षा के नए रंगों को’ भी उन्होंने भर दिया है। उनके मद’रसे में अगर मु’स्लिम लडकिया कम्प्यू’टर

सीख रही है तो हि’न्दू लडकि’या भी उर्दू सी’ख रही ह।बता दे कि कुछ दिनों पहले ही देश के पीए’म मोदी ने अल्पसं’ख्यक ब’च्चो के भवि’ष्य की चिं’ता करते हुए कहा था कि उन्हें आ’धुनिक और तक’नीकी शि’क्षा से भी जु’ड़ा रह’ना चा’हिए।उन्हों’ने कहा था कि वो

hindu muslim children EDUCATION

अ’ल्पसंख्य’क बच्चो के एक हाथ मे कु’रान औरएक हाथ मे लेपटॉप देखना चाहते है। मु’स्लि’म ज’मा’त की तर’क्की के इस सपने को जमीन में उतारने का काम लखनऊ के डॉ. असल’म इस का’म को अंजा’म भी दे रहे है। उनके मदरसे में दी’नी ताली’म के साथ साथ हि’न्दू बच्चे में इस

म’दर’से में पढ़ा’ई करते है। जो बच्चे उर्दू में अपनी दिलचस्पी को रख रहे है वो बच्चों उर्दू भाषा को सी’ख रहे है।आधुनिक तालीम से लैस इस मद’रसे में एनसी’आरटी को कि’ताबो के जरिये बच्चे मौजूदा कोपिरिटी दौर के लाय’कखुद को तैयार भी कर रहे है।

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यहां आने वाले अल्प’संख्य’क वर्ग के कुछ लोगो मे डॉक्ट’र बनने का स’पना चलरहा है तो कोई सा’इंटिस्ट और इं’जी’नियर बन’ने का ख्वा’ब भी देख रहे है। डॉ. अस’लम कहते है कि शि’क्षा का न तो कोई मजहब होता है न ही कोई बं’दिश होती है।

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