हमे कई इ’स्ला’मिक सवाल के बारे में पता तो होता है लेकिन जबाव के बारे में नही पता होता है। आज हम आपके ऐसे ही सवाल के बारे में बताने भी वाले है।रिवायत है कि हजरत खूबेब रजि’अल्ला’न्हा अन्हा की शहाद’त के कुछदिन के बाद रह’मत ए आल’म सल्ला’हु अलै’हि व’स्स’लाम
ने फरमाया है कि जो खूबेब कीलाश को सूली से उतार लाए उसका मकाम ज’न्नत है। हजर’त जुबे’र बिन अवा’म और ह’जरत मिक़’दार बि’न सवा रजिअ’ल्लान्हा अन्हा एक ही वक्त उठे और कहा है कि र’सूल अल्ला’हु यह काम’हम करेंगे।इस तरह दोनो मक्का भी पहुँचे जहां हज’रत खु’ब्बे की श’ही’द भी किया गया था।

जब वह पहुँचे तो देख’कर भी है’रा’न रह गए कि चालीस लोजी हजरत खूबे’ब रजि अल्ला’हुअन्हा की लाशपर पहरा भी दे रहे थे जबकि उनकी लाश सुलो पर बिल्कुल ताजा भी है। ऐसा लगता था कि जैसे उसी दिन हजरत खू’बेब रजि अल्ला’हुअन्हा को शही’द भी किया गया है क्युकी उनके हाथ पर ज’ख्म था।
जिस से खून भी ट’पक रहा था जबकि उनको शही’द हुए 40 दिन भी गुजर गए थे। हजरत जुबैर बिन अवा’म के आ’शिक ए र’सूल ह’जरत खूबे’ब रजि’अल्लान्हा अन्हा की लाश को सू’ली से उता’र कर उसे अपने घो’ड़े पर रखक’र ह’जरत मेकददा रजय अ’ल्ला’हु अन्हा के साथ भी चल पड़े।

जैसे ही कुरेश वालों को इस बारे में पता चला कि उन्होंने कुछ लोगो ने हज’रत जुबेर बिन एवम के घर भी पहुँचे गए। जैसे ही हज’रत ज़ु’बैर के करी’ब दु’श्मन आए तो हजरत ख़ूबबे की ला’श घोड़े से उतार कर जमीन पर रख दिया। जमीन उ’नको निगल गई थी।