जकात हर मु’सल’मान को हर एक साल मे अपनी आमदनी का 2.5 फीसदी हिस्सा किसी ग’रीब या फिर जरूरतमद लोगो को दिया जाता है। जिसे जका’त कहते है। ज्यादातर लोग इस ज’कात को रम’जान के महीने में देते है।
लेकिन जो लोग अपनी हैसि’यत के मुताबिक होने के बावजूद भी जकात नही देते है तो वो गुन’हगारों में शुमार किए जाते है। इस साल UNHCR की नवी’नतम इस्ला’मिक परोप’कार रिपोर्ट से पता चला है कि साल 2020में इस्लामिक जकात के दान में पिछले सालों की तु’लना’ में व्र’द्धि देखी गई है।

जो 61.5 मिलियन डॉलर थी। जो पूरी दुनियाभर में दो मिलयन से अधिक लोगो के पास पहुँची है।इसके पिछले साल जका’त और सद’का दोनों के साथ साथ सदकाह जरविया ने कुल 2.1 लोगो की भी मदद की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछके साल की तूलना में इस साल12 .5% की व्रद्धि को देखा गया है।
जो 2019 की तुलना में 59% बढ़ी है। UNCHR ने रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया के आधे से अधिक शर’णार्थी और IDPS इ’स्लामिk सहयोग संगठनके सदस्य देशों से आते है। दुनि’याभर में 80 मि’लियन लोग अपने घर छोड़’ने पर भी मजबूर हुए है। क्योंकि ऐसा महा’मारी की वजह से हुआ है ।

रिपोर्ट के मुता’बिक ज्यादा’तर जका’त दान म्यामा’र और सीरि’या मूल के शर’णार्थि’यों के साथ साथ य’मन और इ’राक में आं’तरिक रुप से विस्था’पित लोगो की म’दद मर ख’र्चा भी हुआ है।