को’रो’ना की ल’हर के साथ साथ ही स्वा’स्थ्य से’वाएं भी पूरी तह से चरम’रा गई है। रा’जस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को किस तरह से दी’मक बर्बा’द कर रहे है इसकी बानगी जयपुर के ताला’ब गांव में देखने को भी मिली है। जहां पर 2 करोड़ रुपए की लागत से बना यह अस्प’ताल सिर्फ नाम का ही यह अभी तक शुरू भी नही हुआ है।
जबकि इसके वि’परित देखा जाए तो एक क’मरे में तीस हजार की आबादी का पूरा अस्प’ताल चल रहा है। ज’यपुर जिले के इस ता’लागांव की आ’बादी लग’भग 15 हजार है।बता दे कि इन मदरसे के अंदर चल रहे प्रथमि’कस्वा’स्थ्य केंद्र के अंदर 15 -15 हजार की आबा’दी वाले दो गांव में उप स्वा’स्थ्य कें’द्र भी आते है।

सर’कारी रिकॉर्ड के मुता’बिक यहां पर कुल 12 स्टाफ है। कमरे काअन्दर बैठ’ने की जगह नही होने की वजह से 7 लोग डेपुटे’शन पर यहां से चके भी गए है।PHC का मतलव होता है प्राथ’मिक अस्पता’ल। साल 2012 में यहां पर पीएचसी भी बनी थी और अक्टूबर 2018 में एक बिल्डिमग भी बनकर तैयार हुई।
इस अस्प’ताल में सब कुछ है लेकिन डॉक्ट’र, मरी’ज ओर दवा’इयों के भी है। इतने सालों के बाद यहां पर चौ’खट भी टू’टने लग गई है और सीढ़ियों पर दीमक लग गया है। एक कमरे के अस्प’ताल में वै’क्सीन लगाने की जगह नही थी तब जाकर इसको त’ले को खो’ल दिया गया था।

अस्प’ताल क’ब चा’लू होगा इसके बारे में कोई जानकारी भी नही है। जयपुर के सी एम एच एमओ नरोत्तम जो’शी का कहना है कि इसमी ठेकेदार की गलतियां थी और कुछ राज’नीति भी थी। जिसके वज’ह से अस्प’ताल शुरू न’ही हो पाया है लेकिन अब इसको ज’ल्द ही शुरू कि’या जाए’गा। source – aajtak