पूरा देश कर’गिल वि’जय दि’वस पर उन शहीदों को याद करता है जो शहीद हुए है जिन्होंजे अपनी जा’न को ह’थेली पर रखकर दु’श्म’नों से लो’हा लिया और करगि’ल में वि’जय के झ’ड़े को भी लहराया है। इनमें ऐसे ही एक श’हीद मे’रठ के कस्बा कि’ठौर ग्राम ला’लियान के जुबैर अहमद है।
जुबैर अहमद ने वतन की हिफा”जत में अपनी जा’न की कुर्बा’नी भी दी है।बता दे कि कारगिल शहीद ज़ुबैर अहमद की माँ मुन्नी बेगम और छोटे भाई जफर अहमद और कमर अहमद बताते है कि जुबैर गांव में छुट्टी में आए हुए थे। 17 जून 1999 को गांव से ही करगि’ल चले गए थे। उस वक्त उनकी 15 दिनों किछुट्टी भी बाकी थी।

जुबैर अहमद टाइगर हिल पर दुश्म’नों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।शहीद ज़ुबैर अहमद के पा’र्थिक शरीर को 10 जुलाई को उनके गांव लालि’या’न लाया गया था। हर तरफ गम का सैलाब उम’ड़ पड़ा था। शहीद को सलामी देने आए तत्का’लीन जिला’धिकारी संजय अग्रवाल
ने घोषणा की है कि शही’द ज़ुबैर अहमद के नाम से स्कूल और राधना गांव से ललि’याना को जाने वाली सड़क का नाम भी श’ही’द का स’मा’धि स्थल ब’नवाया भी जाएगा। इसके साथ ही खा’दर में श’हीद परिवार को 20 बीघा जमी’न भी दी जाएगी। इसके अलावा परिवार के सदस्य

को नॉ’करी और गांव के बाहर श’ही’द ज़ुबैर अहमद के नाम से एक गेट का नि’र्मा’ण कराया जाएगा। शहीद जुबेर की माँ बताती है कि मुझे मेरे बेटे की श’हा’दत पर गर्व है। श’हिद ज़ुबैर अहमद के तीन बच्चे है।