श्रीनगर के रैनावाड़ी इलाके में रहने वाले बशीर अहमद बाबा 11 सालो बाद जे’ल से रि’हा होकर भी आए है। भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के आ”तं’क’वाद नि’रो’धि द’स्ते ने राजधानी अहमदाबाद से उनको साल 2011 में गिर”फ्तार’ किया था। उस वक्त वो गुजरात मे स्थित एक स्वय सेवी संस्था मा’या फाउंडेशन के
एक वर्कशॉप में भाग लेने के लिए गए हुए थे। बशी’र बा’बा क्ले’फ्ट लि’प एन्ड पेलेट नामक बी’मा’री से पीड़ि’त ब’च्चो के माता पिता की मदद करने वाली एक एनजीओ माया फा’उंडे’शन के साथ भी जुड़े हुए थे। बशी’र अहमद बताते है कि मैने कई गांवों में एनजी’ओ के विशे’षज्ञ डॉ’क्टरों के साथ काम भी किया है।

फिर मुझे आगे के प्रशि’क्षण के लिए गुजरा’त भी बुलाया गया था। इसके बाद मैं गुजर के एनजी’ओ के हॉ’स्टल में भी रुक गया था। उसी सम’य गुज’रात एं’टी टेररिस्ट स्क्वाड ने मुझे और कुछ कार्यक’र्ताओ को गि’र’फ्ता’र कर लिया। बाकी को रिहा कर दिया लेकिन मुझे गुज’रात की बड़ो’दा जे’ल में कै’द कर दिया गया।
बता दे कि ब’शी’र के ऊपर वि’स्फो’टक र’ख’ने और भार’त मे आ’तं’कवा’दी ग’तिवि’धि’यों की योजना बनने का आ’रो’प भी लगा’या गया था। हा’लां’कि वो अ’ब ब’री हो गए है बशीर ने मी’डिया से बात करते हुए बता’या हैकि मे’रा सब कुछ बदल ग’या है। बशी’र कहते है कि मु’झे मेरा व’क्त कौ’न वाप’स लौ’टाएगा।

बशीर अहमद ने जे’ल में रहते हुए भी प’ढ़ाई को न’ही छो’डा है उ’न्होंने राजनी’तिक, पब्लि’क, एडमि’निस्ट्रेश’न, इंटे’क्चुअल प्रोप’र्टी और तीन अन्य वि’षयों में इंदि’रा गां’धी ओपन यू’निव’र्सिटी से मा’स्टर की डिग्री अच्छे न’म्बरो से भी पास की है ।