र’म’जा’न के मु’बा’रक मही’ना ख’त्म हो चुका है । इस मुबा’रक म’हीने को शूरु हुए 1 मही’ने के बाद पूरी दुनि’या में ई’द मना’ई गई। हालांकि 2019 की तरह यानी ‘को’वि’ड न’हीं आ’ने से पहले के जै’सी ई’द नहीं रही। कई दे’शों में अभी भी लॉ’क डा’उन लगा है तो कई देशो में सोश’ल डि’स्ट’न्सिं’ग के साथ ई’द अ’ल फि’तर की नमा’ज़ अदा की गई।
इस म’हीने में आ’खिरी में ब्रि’टि’न से एक अच्छी खब’र सुनने और देखने मिली। लन्दन के एक ऐतिहा’सिक टाव’र ब्रिज में र’मजा’न के अल’वि’दा जु’म्मा केदिन पहली बार ब्रिज पर से अजा’न भी दी गई है। इस अजा”न का होते हुए बेहद ही खु’बसु’रत नजर सो’शल मी’डिया पर वा’य’रल भी हो रहा है।

बतादे कि 35 साल के काजी श’फी’कुररह’मान ने अजान को ग्रेड म’स्जि’द के प्रमुख मुअज्जिन,शेख अली अ’हमद मुल्ला की तरह ही अजा’न को प’ढ़ी। उन्होंने अजान को देते समय एक स’फेद रंग की प्र’सिद्ध पोशाक को भी पहना हुआ था।
बता दे कि जि’न्होंने अ’जा’न को पढा है वो साल 1975 से म’स्जिद के मुअज्जि’न भी रहे है।इस अजान को’टाव’र ब्री’ज हैम’लेट होम्स,ईस्ट लन्दन मस्जि’दमु’स्लिम सें’टर द्वारा इन्ट’रफेथ फॉ’र्म द्वारा आ’यो’जित इ’फ्तार के व’क्त दी गई थी। रम’ज़ा’न के इस पा’क म’हीने में सुब’ह के वक्त सेह’री की जाती है।

उसके बाद दि’न में कुछ पि’या जाता है और न ही कुछ भी खा’या जाता है। इसके बाद शा’म को इ’फ्ता’र के वक्त म’ग’रि’ब की अ’जा’न होने के बाद ही खा’या जा’ता है। इस मही’ने की फजी’लत ही बहुत हु बर’क’तों से होती है। इस म’हीने में अ’ल्ला’ह ने कु’रा’न को ना’जि’ल भी किया था।