इ’स्ला’म एक ऐसा मजहब है जो हमे कई तरह को बातों के बारे में बताता है। एक ऐसा ही वाकिया हम आपको बताने वाले है। एक आ’दमी ने अपने म’स्जिद के इमा’म से कहा कि मौलाना मैं कल से मस्जि’द नही आऊंगा। इमा’म साहब ने जब उससे इस बारे में जाना चाहा तो जब भी
मैं म’स्जि’द आता हूं तो कोई फोन पर बात कर रहा है तो कोई दु’आ पढ़’ते हुए वक्त अपने मे’सेज को देखता रहता है। कही कोने में गीबत होती रहती है। इसके बाद कोई मोह’ल्ले में खबरो पर तब्सि’रा कर रहा होता है । इ’माम साह’ब ने वजह सुनने के बाद कहा कि अगर हो सके तो
मस्जिद ना आने के फैसले करने से पहले एक काम को कर लीजिए। उसने कहा कि मैं बि’ल्कुल तैयार हूं। मौलाना साहब अपने कमरे में गए और एक गिलास पानी भरकर लाए।इसके बाद उस शख्स को दे दिया और कहा कि मस्जिद के चारो कोनो में च;क्कर लगा कर आए
और पानी बिल्कुल नही छलके। इस बारे में ध्याम रखे। उसके बाद वह शख्स ख़ुशी खुशी आता है और मौला;ना साहब से कहता है कि मैंने इस काम को कर लिया है और पानी नही गिरा है।इसके बाद मौलाना साहब कहते है कि जब तुम इस कामको

अंजाम दे रहे थे कोई शख्स गी’बत या बाते कर रहा था।वह कहता है मेरा सारा ध्यान सिर्फ इस गिला;स पर था।इसके बाद मौ;लाना साहब कहते है जब तुम न;माज पढ़ो तो अपने सारा ध्यान अ;ल्ला ह की तरफ रखें।