भार’त मे इ’स्लाम हम”ला’व’रों द्वारा नही बल्कि अरब मुस्लि’म व्या’वरियो द्वारा भी फैला है। उन्ही के चरित्र और काम को देखकर भारत के लोग भी प्र’भा’वि’त भी हुए है। उन्होंने कि’सी ड’र और लाल’च केई’स्लाम को स्वी’कार भी नही किया है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौला’ना सैयद अशरफ मदनी ने यह बात हाल ही
में कर्नाटक के मैसूर से सटे जिला गो डागो के सैदपुर के आयो’जित एक कार्यक्रम में क’ही है। मौ’लाना अर’शद मदनी यहां बढ़ ग्रसित के लिए जमीयत उलेमा ए हिन्द द्वारा बनाए गए म’कानों की चाभि’यां सौ’पने भी पहुँचे है। कार्य’क्रम को सम्बो’धित करते हुए उन्होनेआगे कहा है कि भारत देश मे मु’स’लमा’न

सो दो सौ सालों से नहीं बल्कि 1300 सालो से आ’बाद भी हुए है। इतिहा’सकार इस बात पर सहमत है कि भारत और अरब के बीच इ’स्ला’म के आ’गमन से पहले पूर्व ‘व्या’पा’रिक सम्बं’धभी रहे है लेकिन इ’स्लाम के आगमन के बाद कुछ मुस्लि’म व्यापा’रियों अरब से कश्ति’यों द्वारा
केरल पहुँचे और यही पर आ’बाद भी हो गए उन’के पास कोई से’ना और शक्ति भी नहीं थी। बल्कि उनकी चरि’त्रता और नैतिक’ता ही थी जिससे प्रभा’वित होकर यहां के स्थानी’य लोगो ने इस्ला’म को स्वी;का’र भी किया है।

उन्होंने यह भी कहा है कि इति’हास की पुस्त’कों में केर;ल के कुछ ही राजा;ओं का उल्ले;ख भी मिलता है। जिन्हों’जे इ’स्लाम को स्वी’कार भी किया था। केरल में भार’त की स’बसे प्रथम मस्जि’द आज भी मौ’जूद है।