किसी भी इंसान को ब्ल’ड की जरूरत पड़ ही जाती है इसमें हिन्दू और मुस्लि’म दोनों ही ध’र्म के लोग और सभी ध’र्म के लोग भी शामिल होते है। आज हम आपको बताने वाले है कि अगर किसी हि’न्दू को ब्लड की जरूरत पड़ जाए तो क्या इ’स्लाम मे मुस्लि’म ब्ल’ड दे सकता है? आपने देखा होगा कि दिल्ली, लखनऊ के मुस्लिम युवा सोशल मीडिया पर किसी की भी मदद करने लिए दिन रात , हिन्दू-मुस्लिम देखे बगैर मदद के लिए चले जाते है।
कु’रान म’जीद में अ’ल्लाह तबारक ताला का फरमान है कि अ’ल्लाह तुम्हे इस बात से मना नही फरमाता है। जिन लोगों ने तुमसे दीन के बारे में जं’ग न’ही की और तुन्हें तु’म्हारे घरों से निका’ला है तो तुम उनजे साथ भ’लाई का स’लूक करो और उनसे अब्द’लो इं’साफ भी करो। इं’साफ करने वालो को अ’ल्लाह पसन्द भी करता है।’

हदीस मुबारक में हजरत जा’बिर बिन अब्दु’ल्लाह रजिअल्ला’न्हा अन्हा ने फरमाया है कि एक दिन ह’मारे पास से एक जना’जा गुज’रतो हु’जूर अकरम सल्लेहि अलेही वस्सलाम वस्सलाम खड़े हो गए और आपके साथ हम भी खड़े हो गए। हमने अर्ज गुजर हुए या अ’ल्लाह रसूल सल्लेहि’ अलेही वस्सलाम ने फरमाया
तुम कही भी किसी का भी जनाजा देखे तो खड़े हो जाय करो अगर म’र’ने वाले का ता’ल्लुक किसी भी मजह’ब से हो।हजरत अब्दु’ल्लाह बिनअ’ब्बू लैला रजिअ’ल्लान्हा से रिवायत है कि हजरत सहलबिन हनीफ़ औरहजर’त कै’स बिनसा’द क’दसिया में बैठे हुए थे। इन के पास से एक जना’जा गुजर तो दोनों खड़े हो गए। यहां के वह किसी गैर मु’स्लि’म का जनाजा था।

आप स’ल्ला”हु अ”लै’हि व’स्स’ला’म ने फरमाया कि यह किसी इंसा’नी जा’न का जना’जा है। कु’रान पाक की यह आयत और हदीस से साफ मालूम होता है कि अगर किसी भी हिन्दू शख्स को ब्लड की जरूरत पड़ेतो मुस्लिम ब्लड दे सकता है इसमी कोई हर्ज नही है।इस्लाम भलाई का मजहब है।