क्यों याद किये जा रहे हैं पुरानी दिल्ली के पुस्तक विक्रेता निजामुद्दीन

हर शहरों और हर जिले में कई स्टेशनरी होती है जहाँ से हम अपनी किताबी को खरीदते है। ऐसी ही एक स्टेशनरी की दुकान जो 10 सालो से नही बल्कि 40 सालो से खुली हुई है। आज हम आपको यहां बैठने वाले निजा’मुद्दीन के बारे में बताते है ।

हाल ही में दिल्ली निजा’मुद्दीन के बाजा’र में इनकी दुकान है।यहां हर तरह की किताबें मिलती है। इनका फ़ोटो सोश”ल मी’डिया और फे’सबुक पर काफी ज्या’दा वा’य’रल भी हो रहा था।इनका नाम निजा’मुद्दीन है। जिनका बीते दिनों ही इं’त’का’ल हो गया है।

एक शख्स इनके दु’कान पर उर्दू की दुकान है जिसका Kutub khana Anjuman e Tarikhi e Urdu लेने के लिए गए हुए थे।उन्होंने इनके बारे में लि’खते हुए कहा कि मैं उनकी दुकान पर चिनार नामी एक कि’ताब ढूं’ढने के लिए गया हुआ था।

उन्होंने मेरे से म’ना कर दिया कि मुझे 40 साल इस दु’कान पर किताब बेचते हुए हो गए है लेकिन अभी तक इस नाम की कोई कि’ताब न’ही आई। उन्होंने आगे बताया कि शेख अब्दुल्ला की यह कि’ताब दि’ल्ली में कही न’ही मिलेगी। इसी बीच एक साहिब ने कहा कि हजरत निजा’मुद्दीन की दुकान का पता ब’ताया था लेकिन नही मिली।

उन्होंने बताया कि उनकी दुकान पर रो’ज मौ’लाना इम’दाद साब’री आया करते थे, नेहरू आए है, जोश म’लीहाबादी, मौला’ना आ’जाद आते थे।उनका बीते दिनों ही इं’त’का’ल हो गया है।

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