भगतसिंह के भारत में ही जन्मे सफदर हाशमी जैसे क्रन्तिकारी को आप भूल तो नहीं गए?

ज ब अंग्रे’जी हुकूमत ने भार’तीयो पर जु’ल्म की इंतहा कर दी थी तब भग’तसिंह, चंद्रशे’खरआ’जाद, अशफाकउल्ला खान और नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे हजारों क्रां’तिका’रि’यों ने अपने जीवन का ब’लि’दान देकर हमे उस गु’ला’मी और जु’ल्म की आजा’दी दिलाई।

इन क्रां’ति’कारी ने ब’लि’दान की गाथा इतिहास के पन्नो में सुनहरे शब्दो में दर्ज है और हमे’शा भी रहगे।बीते दिनों ही स’फदर हाशमी की शहादत दिवस मनाया गया है। 34 साल के युवा रंग’क’र्मी को सिर्फ नाटक करते हुए महज इसलिए मा’र दिया था क्योकि उसने आवाज बुलं’द की थी

उन लोगो के खि’ला’फ जो देख को खोख’ला करने में कोई क’सर नही छोड़ रहे थे। सफदर को मा’रने वाले कोई भी रहे हो इ’तिहास में हमेशा ही सफदर को याद किया जाएगा। वही सफदर हाश’मी जिसने हल्ला बोल नाटक सड़को पर करके हल्ला बोल था। उस हमले की गूंज इतनी ज्यादा जबर’दस्त बताई जाती है

कि जिसका अंदाजा आप सिर्फ़ इस बात से लगा सकते है उन लोगो के पास सदफ़र को मा’रने के अलावा कोई और रास्ता नही बचा था। सफदर हाशमी ने इफ्ता जैसे नाट्य संगठन सेअलग होकर जब नाट्य मंच बनाय। सीटू जैसे मजदूर संगठनों के साथ जन्म का अभिन्न जुटा रहा।

1975 में आ’पात’काल के लागू होने के तक सफदर जन्म के साथ नुक्क’ड़ ना’टक करते रहे और उसके बाद आ’पा’त’काल के दौरान वह गढ़’वाल, क’श्मी’र और दिल्ली के यूनि’वर्सिटी में अं’ग्रे’जी साहित्य के प्रोफे’सर पद।पर रहे।

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