रजब तैयब एर्दो’गान दुनिया के पहले एकमात्र एक ऐसे मुस्लि’म राष्ट्रपति है जिनको अंत’राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। आज सो’शल मीडि’या से लेकर तुर्की के रास्ट्रपति ने अपनी अलग पहचान बना ली ‘है।जब भी दु’नियाभर के मुस्लिमो पर मु’सीबत आती है तो वो आगे आ जाते है। चाहे वो को’रोना म’हामा’री हो या फिर आम दिन। ऐसे दिनों में एर्दोगान हर मु’स्लिम देशों का साथ देबे के लिए आगे आते रहते है।
चाहे वो बांग्लादेश मुसल’मान हो या फिर रो’हिं’ग्या मुस्लि’म।अभी हाल ही में उनको अमेरिका ने भी उनको हर तरह से झुकाने की कोशिका’ की है । उनके ऊपर कई तरह के टे’क्स का बो’झ डा’लकर उनके आर्थिक बजट को काफी नु’क’सान भी पहुचाया है। यहां तक कि भी उन्होंने तु’र्की से आने वाले सामा’न का भी उन्होंने आ’यात बंद करदिया था।

हालांकि वक्त की नजा’कत को देखते हुए कई मुस्किम देश एर्दोगान केसमर्थंन में खड़े हो गए है।एर्दोगान का जन्म 1954 में तुर्की की राज’धानी इस्ता’म्बुल के करीबी शहर कासिम पाशा में हुआ था। इनका परिवार यहां का नही था ये रहने वाले रि’जा राज्य के थे लेकिन यहां पर आकर रहने लगे थे। इनके पिता का नाम अहमद एर्दो’गान और इनकी माता का नाम तन्जि’ला ‘एर्दो’गान ।था
इनके पिता नेवी में के’प्टनथे। इसलिए इनका जीवन एक साहिल समं’दर पर आबाद शहर और गुजरा था। इनकी एक बहन वसीला और एक भाई मुस्त’फा भी है।बता दे कि BBC न्यूज़ के वर्ल्ड एडिशन में 4 नवंबर 2002 को बताया गया है कि तैयब ने अपनी नो’जवानि के दिनों में नीं’बू सो’डा पानी और तिल लगी हुई रोटी इस्ताम्बुल के शहर में बेचा करते थे।

जिससे उन्हें थोड़े पैसे मिलजाते थे। यही से एर्दोगान अपने विश्विद्यालय में पढ़ाई केदौरान इनकी मुला’कात तु’र्की देश इस्ला”म’वादी प्रधान से भी हुई थी। साल 1980 में एर्दोगा’न इस्तं’बूल ट्रांसपो’र्ट ऑ’थोरिटी में काम करते थे।
एर्दोगान ने अपनी पहचान को एक मुस्लिम रहनुमा केरूप में पेश किया है। 1994से 1998 तक वो इस्ता’म्बुल के मेयर भी रहे थे।उसके बाद वो साल 2003 से 2014तक तुर्की के प्रधनमंत्री बने और साल 2014से अब तक तुर्की के राष्ट्रपति है।

तु’र्की सर’कार ने हा”गिया सो”’फिया को चर्च से म;स्जिद में त’ब्दील कर दिया था उसके बाद तु’र्की सरका’र सुर्खिया भी बतौर रही है।