शिक्षा एक ऐसी चीज होती है जिसको जितना बाटा जाए उतनी ही ज्यादा बढ़ती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्रयागराज के जसरा की रहने वाली प्राइमरी शिक्षिका की बात करने जा रहे है। जो रोजाना 8 किलोमीटर पैदल चलकर बच्चो को पढ़ाने के लिए भी जाति थी।
उंसके बाद वापस आकर सिविल सर्विसेज की तैयारी भी करती थी। बच्चो की शिक्षा को लेकर उनका प्यार औरयूपीएससी परीक्षा को लेकर उनकी लग्न ने उन्हें IAS अधिकारी बना दिया। IAS अधिकरी बनकर उन्होंने अनने नाम को ही नही बल्कि अपने समाज का नाम भी रोशन किया है।

सीरत फातिमा जसरा गांव की रहने वाली है। वो मिडायम क्लास परिवार से भी ताल्लुक रखती है। फातिमा बचपन से पढ़ाई लिखाई में काफी ज्यादा तेज थे।फातिमा ने सारी परेशानियों को देखते हुए भी अपनी पढ़ाई को जारी भी रखा। उन्होंने गांव से ही 12 तक परीक्षा को पास किया। साइंस में ग्रेजुएशन भी किया।
फातिमा बताती है कि उनके पिता की यही इच्छा थी कि उनकी बेटी बड़ी होकर अधिकारी बने। बता दे कि सीरत फातिमा के पिता लेखपाल है। जब उनके पिता नोकरी करने के लिए जाते थे तो उन्हें अधिकारियों की डांट भी सुनना पडता था। सीरत के पिता बताते है कि उनका यह बर्ताव बिल्कुल भी पसंद नही था।

उन्हें अधिकारियों केनिस रवैये से बहुत हु ज्यादा गुस्सा भी आता था। अफसरों की खरी खोटी सुननेके बाद सीरत के पिता ने सोच लिया था कि वो अपने बच्चों को अधिकारी ही बनाएंगे। सीरत ने 2017 में 810 वी रेंक को हासिल किया है।