अ’ल्लाह की कु’दरत का क’रिश्मा: जा’पानी वै’ज्ञानिक की रिसर्च में खुलासा, आबे ज़म जाम पानी है ….

पवि’त्र पा’नी कहे जाने वाले आ’बे ज’म ज’म पानी पर अब तक का’फी रिसर्च हो चुकी है । इस चम’त्का’रिक पानी के गुणों’ को जा’नकर वै’ज्ञानि’क हैरान है । आबे जम जम पर एक जापा’नी वैज्ञानि’क ने कहा है कि यह साधार’ण पानी नही है। यह पानी निरीक्षण करता है ।सऊ’दी अर’ब का एक प्रसि’द्ध और प्रा’चीन कुआं है ज’मजम । इसका पा’नी कभी सू’ख’ता नही है न ही ख’राब होता है ।

म’क्का’ के इस कुएं के पानी को आ’बे ज’म ज’म कहा जाता है । मुस्लिम समाज मे पवि’त्र स्थ’ल सऊ’दी में स्थित म’क्का शरी’फ और म’दीना श’रीफ में है। यहां पर आ’बे ज’म ज’म पा’नी बहुत शिफा देता है। हर हाजी यहां से ज’म ज’म औऱ ख’जूर लेकर आता है।जा पा नी वै’ज्ञानिक म’सारू इ’मोटो ने इस पर एक अध्य’यन भी किया है।

उनके अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि हमारी व्यक्ति’गतऔर सामू चेतना पानी से बहुत जुड़ी हुई है। उन्होंने एक प्रसि’द्ध पुस्त’क जल से सन्दे’श भी लिखी है। मसारू द पावर ऑफ वॉटर एंड द हिडन मेसेज इन वॉटर के लेखक भी है। वैज्ञा’निक ने पानी के साथ इन आण्वि’क परिव’र्तनों को नेत्र’हीन रि’कॉड करने के लिए फोटो’ग्राफिकतक’नीकों का इस्तेमाल भी किया था।

सबसे पहले, वह पा’नी को जमा कर देता है फिर वो माइक्रोस्को’प की मदद से बूं’दों का निरी’क्षण करता है। जिसमें फोटो’ग्राफिक पह’लू शामिल होते है। मो’सारु को संयुक्त राज्य अमे”रिका में सूक्ष्म क्लस्ट’र जल अवधारणा के साथ चुम्ब’कीय अनु’नाद वि’श्लेषण की तक’नीक शुरू करने के लिए भी जाना जाता है। इस तरह ही उन्होंने पानी के रह’स्य का प’ता लगाने के लिए खोज जारी की।

एक शोधक’र्ता के बजाए एक मूल ‘वि’चा’रके के वि’चार से अधिक जोर देते हुए, उन्होंने इस पूरे ग्रह के पानी पर एक वि’स्तृ’त अध्य’यन किया। पूरे वि’श्व से उनकी खोज और अ’नुसं’धान के लिए उन्हें प्र’शं’सा मिली। बता दे, आ’बे ज’म जम को दुनिया भर से जितने भी ह ज या’त्री ह ज कर’ने के लिए जाते है वो ज’रूर लेकर आते है । बता दे, इस पवित्र पा’नी को पड़ो’सी, रिश्ते’दार के यहां तक़’सीम किया जाता है , इस पानी मे कई बी’मारि’यों से शि’फा मिलती है ।

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